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*नानाजी की पुण्यतिथि पर दूसरे दिन सम्पन्न हुए विविध कार्यक्रम* *नानाजी की पुण्यतिथि पर पोषक अनाज “श्री अन्न” प्रदर्शनी का हुआ उद्घाटन* *प्रदर्शनी में 13 केवीके सहित प्रशिक्षणार्थियों द्वारा बनाये गए उत्पादों का किया गया प्रदर्शन* चित्रकूट 26 फरवरी / भारत रत्न राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख की 14 वीं पुण्यतिथि पर दीनदयाल परिसर चित्रकूट में पोषक अनाज “श्री अन्न” प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदर्शनी का शुभारंभ सतना सांसद गणेश सिंह, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंका कानूनगो, बेस्ट इंडीज के प्रो नरेश सिंह, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के कुलपति प्रो अरविंद शुक्ला, झांसी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मुकेश पांडे, महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ भरत मिश्रा, पदम श्री उमाशंकर पांडे, मध्य प्रदेश शासन की पूर्व मंत्री सुश्री उषा ठाकुर, डॉ त्रिलोचन महापात्रा, अटारी डायरेक्टर डॉ शांतनु दुबे, डॉ एसआरके सिंह, डॉ अंबेडकर महू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डीके शर्मा, डॉ शेषाद्री चारी, गजानन डांगे एवं सतना कलेक्टर अनुराग वर्मा, पुलिस अधीक्षक आशुतोष गुप्ता द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। उद्घाटन उपरांत सभी अतिथियों द्वारा प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया। प्रदर्शनी के प्रभारी कृषि विज्ञान केन्द्र चित्रकूट के वैज्ञानिक विजय गौतम ने बताया कि पोषक तत्वों का भंडार माने जाने वाले मोटे अनाज की खपत लगातार बढ़ती नजर आ रही है। यही नहीं, वर्ष 2023 इंटरनेशनल इयर ऑफ मिल्लेट के रूप में मनाया गया। लोग मोटे अनाज के प्रति अधिक जागरूक हो रहे हैं और इसे अपने आहार में शामिल कर रहे हैं। मोटे अनाज गेहूंँ और चावल की तुलना में सस्ते होने के साथ-साथ उच्च प्रोटीन, फाइबर, विटामिन तथा आयरन आदि की उपस्थिति के चलते पोषण हेतु बेहतर आहार होते हैं। इस प्रदर्शनी में कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां, गनीवां, छतरपुर, रीवा, कटनी, उमरिया, नरसिंहपुर, शहडोल, दमोह, डिण्डौरी, सीधी, सागर, पन्ना,के साथ-साथ जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के खाद्य विज्ञान विभाग, पशु पालन एवं डेयरी विभाग सतना, मध्यप्रदेश जैव विविधता बोर्ड भोपाल द्वारा संकटग्रस्त प्रजातियों के प्रदर्शन के साथ श्री अन्न के मूल्यवर्धित व जैविक कीटनाशकों का प्रदर्शन, मशरूम के मूल्य संवर्धित उत्पाद एवं जन शिक्षण संस्थान चित्रकूट द्वारा आत्मनिर्भर तथा स्वावलम्बी बनाने हेतु संचालित किए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी के साथ साथ प्रशिक्षणार्थियों द्वारा बनाये गए उत्पादों का प्रदर्शन किया गया। इसके अलावा विविध जानकारियों को एकत्र कर लोगों को जन जागरूक करने हेतु विशिष्ट प्रदर्शनी लगाई गई है। इस अवसर पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) द्वारा बाल अधिकारों के सार्वभौमिकता और अखंडता के सिद्धांतों पर 0 से लेकर 18 वर्ष की आयु वर्ग के सभी बच्चों की समान सुरक्षा को ध्यान में रखकर प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। __________________________________________________ *नानाजी की 14 वीं पुण्यतिथि पर मानस पाठ का शुभारंभ* *श्रद्धांजलि के साथ 27 फरवरी को होगा भंडारा का आयोजन* चित्रकूट 26 फरवरी 2024/ भारतरत्न नानाजी देशमुख की 14 वीं पुण्यतिथि पर 26 फरवरी को प्रातः 7 बजे से श्रीरामचरितमानस पाठ का शुभारंभ हो चुका है, इस अवसर पर दीनदयाल परिसर में आयोजित मानस पाठ में पौध किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली के चेयरमैन डॉ त्रिलोचन महापात्रा, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो, डीआरआई के प्रधान सचिव अतुल जैन, संगठन सचिव अभय महाजन, कोषाध्यक्ष वसंत पंडित, महाप्रबंधक अमिताभ वशिष्ट ने पूजा स्थल पर पहुंचकर मानस पाठ में सहभागिता की। 27 फरवरी को हवन के पश्चात दीनदयाल परिसर चित्रकूट के पंडित दीनदयाल उपाध्याय पार्क में बने राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख के श्रद्धा स्थल के समक्ष श्रद्बाजंलि का कार्यक्रम रहेगा। उसके पश्चात प्रातः 10 बजे से साधु संतों के प्रसाद के बाद भंडारा का आयोजन होगा। यह सारा कार्यक्रम जन सहभागिता से ही संपन्न हो रहा है, जिसके लिए चित्रकूट क्षेत्र के कई गांव एवं देश भर के कई स्थानों से नानाजी से जुड़े हुए तथा उनके कार्य के प्रति आस्था रखने वाले लोगों का चित्रकूट आना शुरू हो गया है। इस आयोजन को लेकर आयोजक मंडल द्वारा सारी तैयारियां पूर्ण हो चुकी हैं। दीनदयाल शोध संस्थान के प्रबंध मंडल के सभी सदस्य नानाजी के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में चित्रकूट आ चुके हैं। दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव श्री अतुल जैन एवं संगठन सचिव श्री अभय महाजन ने सभी से आग्रह किया है कि श्रद्धांजलि एवं भंडारा प्रसाद के लिए आम जनमानस सपरिवार सादर आमंत्रित हैं। __________________________________________________ *सतत् विकास के लक्ष्यों पर आयोजित तृतीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में विद्युतजनों ने रखे अपने विचार* चित्रकूट 26 फरवरी 2024/ राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख की चौदहवीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रमों की श्रंखला में सोमवार को संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्य एसडीजी-2 भुखमरी की समाप्ति एवं एसडीजी-4 गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा पर चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा आयोजित तृतीय अंतराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन दीनदयाल परिसर के लोहिया सभागार में एसडीजी-2 भुखमरी की समाप्ति के सत्र सतत कृषि और अमृत काल एवं टिकाऊ कृषि और आजीविका के संदर्भ में हम क्या उगाते है, हम क्या खाते है पर अपनी बात रखते हुए पौध किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ त्रिलोचन महापात्रा ने कहा कि सतत कृषि के लिए परिवेश को ध्यान में रखकर पेस्टिसाइड के उपयोग को प्रबंधित करने की जरूरत है। फसलों का जो विविधीकरण होना चाहिए वह नहीं हुआ है, फसलों में विविधीकरण की आवश्यकता है। सूक्ष्म सिंचाई की व्यवस्था होना चाहिए। 2047 तक हम पानी के 80 प्रतिशत उपयोग को 40 प्रतिशत तक लेकर आएंगे। दीनदयाल शोध संस्थान के कोषाध्यक्ष एवं सेमिनार के संयोजक श्री वसन्त पंडित ने कहा कि हमारी परंपरा में पुरुष पहले भोजन करता है फिर बच्चे और सबसे बाद में महिलाएं। इसलिये महिलाओं में कुपोषण ज्यादा है। मिलेटस् उगाने पर जोर देना चाहिये यह भुखमरी की समस्या का अच्छा समाधान है। पूर्व आईएएस दीपक खांडेकर ने कहा कि सांवा, कोदो, काकून, रागी बाजरा ये फसले फिर से आनी चाहिये। ये मोटे अनाज ही इस सत्र का सार संक्षेप है और यही जीरो हंगर लायेगा। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय की पूर्व प्राध्यापक डॉ ओम गुप्ता ने दलहनी फसलों और उसकी न्यूट्रीशन वैल्यू पर अपना व्याख्यान देते हुए कहा जो खाओ वो उगाओ- वही उगाओ जो खाओ। पूसा अनुसंधान नई दिल्ली के बागवानी विशेषज्ञ डॉ अमित गोस्वामी ने कहा कि हम हर तरह के फल सब्जियां उगा तो रहे हैं लेकिन हम अपने आहार में बैलेंस डाइट नहीं ले पा रहे हैं‌। हमें स्वस्थ रहने के लिए अपने खान-पान में परिवर्तन करने की जरूरत है। सम्मेलन में स्थानिक कृषकों ने भी अपने-अपने अनुभवों को रखा। क्षेत्रीय युवा किसान नरेंद्र प्रताप पटेल ने मिलेटस की खेती से बढ़ी हुई आमदनी का जिक्र किया। दीपक जायसवाल ने प्राकृतिक खेती में कम उत्पादन लागत का जिक्र किया। इन किसानों ने चित्रकूट क्षेत्र में कार्यरत कृषि विज्ञान केन्द्र के तकनीकी एवं सतत मार्गदर्शन को इसका श्रेय दिया। लोहिया सभागार की दूसरे तल पर आयोजित एसडीजी-4 गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के अंतर्गत चल रहे सम्मेलन में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि धार्मिक संस्थाओं में खास तौर पर मदरसों में जो शिक्षा दी जाती है वह कितना उचित है। आज मदरसों में एक करोड़ 10 लाख बच्चे क्या सीख रहे हैं, दारुल उलूम देवबंद स्कूल केवल एक प्रोफेशनल कोर्स चला रहा है बाकी केवल धर्म और संप्रदाय की शिक्षा दी जा रही है। इस पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है। गुरुकुल गुजरात के आचार्य संजीव शर्मा ने कहा कि भारत की सामाजिक व्यवस्था के अनुसार शिक्षा होना चाहिए। भारत में जो प्राचीन पद्दति थी उसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, न्याय, धर्म और पर्यावरण जैसे विषय सम्मिलित होते थे। डॉ शेषाद्री चारी ने कहा कि क्या उच्च शिक्षा संस्थान क्वालिटी एजुकेशन पर कार्य कर रहे हैं यह विचार का विषय है। सरकार शिक्षा पर अधिक बजट नहीं रख रही है जबकि यह हुआ था कि देश की कुल जीडीपी का 6% शिक्षा पर जाना चाहिए किंतु अभी तक तीन प्रतिशत से अधिक कभी नहीं रखा गया। दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव अतुल जैन ने कहा कि नानाजी स्वयं एक शिक्षा शास्त्री थे उन्होंने नन्ही दुनिया जैसा अभिनव शिक्षा परिसर तैयार कराया जहां बच्चा प्रकृति की गोद में आसपास परिवेश से सीखेगा। आईआईटी रुड़की के प्रो आशीष पांडे ने कहा कि छात्रों में कला, कौशल और व्यवहारिक ज्ञान होना बहुत आवश्यक है। केवल डिग्री धारकों को बढ़ाने से कुछ नहीं होगा। पर्यावरण विद् एवं वैज्ञानिक डॉ रविकांत पाठक ने कहा कि ‘सा विद्या या विमुक्तये’ भारतीय शिक्षा का ध्येय वाक्य रहा है। आज भी यही आवश्यक है कि हम स्कूलों में मनुष्य में आंतरिक विकास से संबंधित पाठ्यक्रम तैयार करें। हम कुछ भूल गए हैं उसे पुन स्मरण करें और शिक्षा ऐसी तैयार करें कि दुखों से मुक्ति मिल सके, जीवन में आनंद का मार्ग प्रशस्त हो सके, अंतर्मन में समृद्धि आ सके। महात्मा गॉंधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ भरत मिश्रा ने सतत् विकास के लक्ष्य को नानाजी के कृतित्व के अनुरूप मानते हुए कहा कि नानाजी देशमुख युगानुकूल सामाजिक पुनर्रचना के व्यावहारिक शिल्पी थे। वे गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा, समय अनुकूल शिक्षा, स्वावलंबन और आत्मविश्वास पूर्ण शिक्षा के हिमायती थे। नानाजी का मानना था कि शिक्षा के माध्यम से हम समाज के अनछुए पहलुओं को स्पर्श करते हुए राष्ट्र का नवनिर्माण कर सकते हैं। __________________________________________________ *सशक्तिकरण के लिए स्थानीय संसाधनों को आजीविका का साधन बनाकर आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनें मातृ शक्ति – ऊषा ठाकुर* *महिला सशक्तिकरण में स्वसहायता समूहों की भूमिका विषय पर संगोष्ठी आयोजित* चित्रकूट/ दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा संचालित एवं कौशल विकास उद्यमशीलता मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित जन शिक्षण संस्थान चित्रकूट द्वारा भारत रत्न राष्ट्रऋषि नाना जी देशमुख की 14 वीं पुण्यतिथि पर महिला सशक्तिकरण में स्वसहायता समूहों की भूमिका विषय पर संगोष्ठी का आयोजन दीनदयाल परिसर स्थित बाल कला भवन में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि उषा ठाकुर पूर्व पर्यटन व संस्कृति मंत्री मध्यप्रदेश शासन, कृष्ण मोहन मोघे पूर्व सांसद खरगौन, शिवमोहन मिश्र देव संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार, डॉ रज्जन द्विवेदी पोस्ट डॉक्टोरल फैलो आई सी एस एस आर, विकास कुमार सहायक प्रबंधक ड़ी आई सी, सन्ध्या उपेंद्र कुलकर्णी एवं जन शिक्षण संस्थान के निदेशक अनिल कुमार सिंह द्वारा दीप प्रज्ज्वलन द्वारा किया गया। कार्यक्रम के उदेश्य पर प्रकाश डालते हुए निदेशक जन शिक्षण संस्थान ने बताया कि स्वयं-सहायता समूह भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सशक्तीकरण और गरीबी उन्मूलन के प्रभावी आधार के रूप में उभरे हैं। समाज में महिलाओं के वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने व उन्हें सक्षम बनाने जिससे कि वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सकें और परिवार और समाज में अच्छे से रहकर आत्मनिर्भर एवम स्वावलम्बी बन सकें। सन्ध्या उपेंद्र कुलकर्णी ने कहा कि आर्थिक सशक्तीकरण, कौशल विकास, सामाजिक एकजुटता और ऋण तक पहुँच को बढ़ावा देकर स्वयं सहायता समूह महिलाओं को अपने जीवन पर नियंत्रण रखने और अपने समुदायों के विकास में योगदान करने में सक्षम बनाते हैं। शिवमोहन मिश्रा ने कहा कि महिला स्वयं सहायता समूह महिलाओं को बचत के माध्यम से उन्हें बचत करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, ऋण के माध्यम से महिला स्वयं सहायता समूह महिलाओं को ऋण प्रदान करते हैं व प्रशिक्षण के माध्यम से स्वयं सहायता समूह महिलाओं को विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण प्रदान करते हैं जिससे वे आर्थिक रूप से सशक्त बनातीं हैं। डॉ रज्जन द्विवेदी ने बताया कि स्व सहायता समूह, समरूप ग्रामीण निर्धनों द्वारा स्वेच्छा से गठित एक समूह है जिसमें समूह के सदस्य अपने आप से जितनी भी बचत आसानी से कर सकते हैं उसका अंशदान उत्पादक, उपभोग अथवा आपातकालीन आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु ऋण के रूप में देने के लिए परस्पर सहायक होते है। विकास कुमार द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार एवं केंद्र सरकार द्वारा जिले में संचालित की जा रही बिभिन्न योजनाओं की विस्तृत जानकारी प्रदान कर उनसे लाभान्वित होकर आत्मनिर्भर बनने पर जोर दिया। कृष्णमुरारी मोघे ने भारत सरकार द्वारा समाज के विभिन्न समुदायों एवं विशेषकर मातृशक्ति के शक्तिकरण हेतु किये जा रहे कार्यों की जानकारी प्रदान की और मातृशक्ति को उनसे लाभान्वित होने पर जोर दिया। अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुए उषा ठाकुर ने कहा कि महिला राष्ट्र की आधार शक्ति है आप अपनी अंतर निहित शक्तियों को जागृत करिए और उन्हें पहचानिए। दुनिया का कोई भी ऐसा कार्य नहीं है जिसे आप सर्वाधिक बेहतर तरीके से नहीं कर सकती हैं। ईश्वर ने जब सृष्टि की रचना की तो उन्होंने शक्ति का केंद्र मातृशक्ति को ही बनाया। यदि हम देखे तो दुर्गा शक्ति का केंद्र है तो विद्या का केंद्र सरस्वती है और वही धन की देवी लक्ष्मी को कहा जाता है। आप सभी मातृशक्ति इन तीनों देवियों के संयुक्त विग्रह को आत्मसात कर विश्व गुरु भारत के सपने को यथार्थ में बदल सकती हैं। भारत का इतिहास मातृशक्ति के कार्यों से भरा पड़ा है भारत और भारतीयता की ताकत आध्यात्मिकता है। आप अपने संस्कारों और विचारों को बेहतर बनाने हेतु कार्य करते हुए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों को अपने आजीविका का साधन बनाकर आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनिए। कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे प्रतिभागियों में अंजली भारद्वाज, रेनू, अनुपमा, स्वेता, महिमा ,दीपकुमारी सहित कई अन्य ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में 10 स्वसहायता समहों एवं जन शिक्षण संस्थान के 75 अनुदेशकों सहित लगभग 305 प्रतिभागी उपस्थित रहे। __________________________________________________ *प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने एवं मातृशक्ति के स्वास्थ्य पर कार्यशाला में विशेषज्ञों ने रखे विचार* नानाजी की पुण्यतिथि पर आयोजित विभिन्न संगोष्ठी एवं कार्यशाला की विचार श्रंखला में दूसरे दिन दीनदयाल परिसर के विवेकानन्द सभागार में प्रथम सत्र में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने एवं द्वितीय सत्र में पौध किस्म संरक्षण और तृतीय सत्र में मातृशक्ति के उत्तम स्वास्थ्य व पोषण में पोषक तत्व का महत्व पर विषय विशेषज्ञों द्वारा विस्तृत जानकारी रखी गई। प्रथम सत्र में डॉ शिव शंकर सिंह, पदम श्री उमाशंकर पांडे, श्याम बिहारी गुप्त एवं मोहम्मद असलम खान ने रासायनिक खेती के दुष्प्रभाव को विस्तार से बताया और कैसे प्राकृतिक खेती करके मिट्टी में जीवाणुओं की संख्या बढ़कर उत्पादन को बढ़ा सकते हैं। द्वितीय सत्र में पौधों की किस्म का संरक्षण एवं पंजीयन कृषक अधिकार प्राधिकरण के सत्र में डॉ त्रिलोचन महापात्रा अध्यक्ष और डॉ डीके अग्रवाल रजिस्टार जनरल, यूके दुबे डिप्टी रजिस्टार, डॉ रवि प्रकाश एवं राज सिंह कुशवाहा ने विस्तार से कैसे देसी किस्म की खेती करें, उन्हें संरक्षित रखे, पंजीयन करें साथ ही किसानों से प्रत्यक्ष रूप से वार्ता की एवं अनुभव साझा किया। तृतीय सत्र में डॉ आर एस ठाकुर ने मातृशक्ति के उत्तम स्वास्थ्य, पोषक अनाज का महत्व को विस्तार से बताया। जिसमें कैसे मोटे अनाजों के उत्पाद तैयार करें जैसे रागी लड्डू, रागी बिस्किट, कोदो चावल आदि उत्पाद बनाने पर विस्तार से बताया गया।

*नानाजी की पुण्यतिथि पर दूसरे दिन सम्पन्न हुए विविध कार्यक्रम* *नानाजी की पुण्यतिथि पर पोषक अनाज "श्री अन्न" प्रदर्शनी का हुआ उद्घाटन* *प्रदर्शनी में 13 केवीके सहित प्रशिक्षणार्थियों द्वारा बनाये गए उत्पादों का किया गया प्रदर्शन* चित्रकूट 26 फरवरी / भारत रत्न राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख की 14 वीं पुण्यतिथि पर दीनदयाल परिसर चित्रकूट में पोषक अनाज "श्री अन्न" प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदर्शनी का शुभारंभ सतना सांसद गणेश सिंह, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंका कानूनगो, बेस्ट इंडीज के प्रो नरेश सिंह, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के कुलपति प्रो अरविंद शुक्ला, झांसी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मुकेश पांडे, महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ भरत मिश्रा, पदम श्री उमाशंकर पांडे, मध्य प्रदेश शासन की पूर्व मंत्री सुश्री उषा ठाकुर, डॉ त्रिलोचन महापात्रा, अटारी डायरेक्टर डॉ शांतनु दुबे, डॉ एसआरके सिंह, डॉ अंबेडकर महू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डीके शर्मा, डॉ शेषाद्री चारी, गजानन डांगे एवं सतना कलेक्टर अनुराग वर्मा, पुलिस अधीक्षक आशुतोष गुप्ता द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। उद्घाटन उपरांत सभी अतिथियों द्वारा प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया। प्रदर्शनी के प्रभारी कृषि विज्ञान केन्द्र चित्रकूट के वैज्ञानिक विजय गौतम ने बताया कि पोषक तत्वों का भंडार माने जाने वाले मोटे अनाज की खपत लगातार बढ़ती नजर आ रही है। यही नहीं, वर्ष 2023 इंटरनेशनल इयर ऑफ मिल्लेट के रूप में मनाया गया। लोग मोटे अनाज के प्रति अधिक जागरूक हो रहे हैं और इसे अपने आहार में शामिल कर रहे हैं। मोटे अनाज गेहूंँ और चावल की तुलना में सस्ते होने के साथ-साथ उच्च प्रोटीन, फाइबर, विटामिन तथा आयरन आदि की उपस्थिति के चलते पोषण हेतु बेहतर आहार होते हैं। इस प्रदर्शनी में कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां, गनीवां, छतरपुर, रीवा, कटनी, उमरिया, नरसिंहपुर, शहडोल, दमोह, डिण्डौरी, सीधी, सागर, पन्ना,के साथ-साथ जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के खाद्य विज्ञान विभाग, पशु पालन एवं डेयरी विभाग सतना, मध्यप्रदेश जैव विविधता बोर्ड भोपाल द्वारा संकटग्रस्त प्रजातियों के प्रदर्शन के साथ श्री अन्न के मूल्यवर्धित व जैविक कीटनाशकों का प्रदर्शन, मशरूम के मूल्य संवर्धित उत्पाद एवं जन शिक्षण संस्थान चित्रकूट द्वारा आत्मनिर्भर तथा स्वावलम्बी बनाने हेतु संचालित किए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी के साथ साथ प्रशिक्षणार्थियों द्वारा बनाये गए उत्पादों का प्रदर्शन किया गया। इसके अलावा विविध जानकारियों को एकत्र कर लोगों को जन जागरूक करने हेतु विशिष्ट प्रदर्शनी लगाई गई है। इस अवसर पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) द्वारा बाल अधिकारों के सार्वभौमिकता और अखंडता के सिद्धांतों पर 0 से लेकर 18 वर्ष की आयु वर्ग के सभी बच्चों की समान सुरक्षा को ध्यान में रखकर प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। __________________________________________________ *नानाजी की 14 वीं पुण्यतिथि पर मानस पाठ का शुभारंभ* *श्रद्धांजलि के साथ 27 फरवरी को होगा भंडारा का आयोजन* चित्रकूट 26 फरवरी 2024/ भारतरत्न नानाजी देशमुख की 14 वीं पुण्यतिथि पर 26 फरवरी को प्रातः 7 बजे से श्रीरामचरितमानस पाठ का शुभारंभ हो चुका है, इस अवसर पर दीनदयाल परिसर में आयोजित मानस पाठ में पौध किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली के चेयरमैन डॉ त्रिलोचन महापात्रा, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो, डीआरआई के प्रधान सचिव अतुल जैन, संगठन सचिव अभय महाजन, कोषाध्यक्ष वसंत पंडित, महाप्रबंधक अमिताभ वशिष्ट ने पूजा स्थल पर पहुंचकर मानस पाठ में सहभागिता की। 27 फरवरी को हवन के पश्चात दीनदयाल परिसर चित्रकूट के पंडित दीनदयाल उपाध्याय पार्क में बने राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख के श्रद्धा स्थल के समक्ष श्रद्बाजंलि का कार्यक्रम रहेगा। उसके पश्चात प्रातः 10 बजे से साधु संतों के प्रसाद के बाद भंडारा का आयोजन होगा। यह सारा कार्यक्रम जन सहभागिता से ही संपन्न हो रहा है, जिसके लिए चित्रकूट क्षेत्र के कई गांव एवं देश भर के कई स्थानों से नानाजी से जुड़े हुए तथा उनके कार्य के प्रति आस्था रखने वाले लोगों का चित्रकूट आना शुरू हो गया है। इस आयोजन को लेकर आयोजक मंडल द्वारा सारी तैयारियां पूर्ण हो चुकी हैं। दीनदयाल शोध संस्थान के प्रबंध मंडल के सभी सदस्य नानाजी के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में चित्रकूट आ चुके हैं। दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव श्री अतुल जैन एवं संगठन सचिव श्री अभय महाजन ने सभी से आग्रह किया है कि श्रद्धांजलि एवं भंडारा प्रसाद के लिए आम जनमानस सपरिवार सादर आमंत्रित हैं। __________________________________________________ *सतत् विकास के लक्ष्यों पर आयोजित तृतीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में विद्युतजनों ने रखे अपने विचार* चित्रकूट 26 फरवरी 2024/ राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख की चौदहवीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रमों की श्रंखला में सोमवार को संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्य एसडीजी-2 भुखमरी की समाप्ति एवं एसडीजी-4 गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा पर चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा आयोजित तृतीय अंतराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन दीनदयाल परिसर के लोहिया सभागार में एसडीजी-2 भुखमरी की समाप्ति के सत्र सतत कृषि और अमृत काल एवं टिकाऊ कृषि और आजीविका के संदर्भ में हम क्या उगाते है, हम क्या खाते है पर अपनी बात रखते हुए पौध किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ त्रिलोचन महापात्रा ने कहा कि सतत कृषि के लिए परिवेश को ध्यान में रखकर पेस्टिसाइड के उपयोग को प्रबंधित करने की जरूरत है। फसलों का जो विविधीकरण होना चाहिए वह नहीं हुआ है, फसलों में विविधीकरण की आवश्यकता है। सूक्ष्म सिंचाई की व्यवस्था होना चाहिए। 2047 तक हम पानी के 80 प्रतिशत उपयोग को 40 प्रतिशत तक लेकर आएंगे। दीनदयाल शोध संस्थान के कोषाध्यक्ष एवं सेमिनार के संयोजक श्री वसन्त पंडित ने कहा कि हमारी परंपरा में पुरुष पहले भोजन करता है फिर बच्चे और सबसे बाद में महिलाएं। इसलिये महिलाओं में कुपोषण ज्यादा है। मिलेटस् उगाने पर जोर देना चाहिये यह भुखमरी की समस्या का अच्छा समाधान है। पूर्व आईएएस दीपक खांडेकर ने कहा कि सांवा, कोदो, काकून, रागी बाजरा ये फसले फिर से आनी चाहिये। ये मोटे अनाज ही इस सत्र का सार संक्षेप है और यही जीरो हंगर लायेगा। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय की पूर्व प्राध्यापक डॉ ओम गुप्ता ने दलहनी फसलों और उसकी न्यूट्रीशन वैल्यू पर अपना व्याख्यान देते हुए कहा जो खाओ वो उगाओ- वही उगाओ जो खाओ। पूसा अनुसंधान नई दिल्ली के बागवानी विशेषज्ञ डॉ अमित गोस्वामी ने कहा कि हम हर तरह के फल सब्जियां उगा तो रहे हैं लेकिन हम अपने आहार में बैलेंस डाइट नहीं ले पा रहे हैं‌। हमें स्वस्थ रहने के लिए अपने खान-पान में परिवर्तन करने की जरूरत है। सम्मेलन में स्थानिक कृषकों ने भी अपने-अपने अनुभवों को रखा। क्षेत्रीय युवा किसान नरेंद्र प्रताप पटेल ने मिलेटस की खेती से बढ़ी हुई आमदनी का जिक्र किया। दीपक जायसवाल ने प्राकृतिक खेती में कम उत्पादन लागत का जिक्र किया। इन किसानों ने चित्रकूट क्षेत्र में कार्यरत कृषि विज्ञान केन्द्र के तकनीकी एवं सतत मार्गदर्शन को इसका श्रेय दिया। लोहिया सभागार की दूसरे तल पर आयोजित एसडीजी-4 गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के अंतर्गत चल रहे सम्मेलन में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि धार्मिक संस्थाओं में खास तौर पर मदरसों में जो शिक्षा दी जाती है वह कितना उचित है। आज मदरसों में एक करोड़ 10 लाख बच्चे क्या सीख रहे हैं, दारुल उलूम देवबंद स्कूल केवल एक प्रोफेशनल कोर्स चला रहा है बाकी केवल धर्म और संप्रदाय की शिक्षा दी जा रही है। इस पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है। गुरुकुल गुजरात के आचार्य संजीव शर्मा ने कहा कि भारत की सामाजिक व्यवस्था के अनुसार शिक्षा होना चाहिए। भारत में जो प्राचीन पद्दति थी उसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, न्याय, धर्म और पर्यावरण जैसे विषय सम्मिलित होते थे। डॉ शेषाद्री चारी ने कहा कि क्या उच्च शिक्षा संस्थान क्वालिटी एजुकेशन पर कार्य कर रहे हैं यह विचार का विषय है। सरकार शिक्षा पर अधिक बजट नहीं रख रही है जबकि यह हुआ था कि देश की कुल जीडीपी का 6% शिक्षा पर जाना चाहिए किंतु अभी तक तीन प्रतिशत से अधिक कभी नहीं रखा गया। दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव अतुल जैन ने कहा कि नानाजी स्वयं एक शिक्षा शास्त्री थे उन्होंने नन्ही दुनिया जैसा अभिनव शिक्षा परिसर तैयार कराया जहां बच्चा प्रकृति की गोद में आसपास परिवेश से सीखेगा। आईआईटी रुड़की के प्रो आशीष पांडे ने कहा कि छात्रों में कला, कौशल और व्यवहारिक ज्ञान होना बहुत आवश्यक है। केवल डिग्री धारकों को बढ़ाने से कुछ नहीं होगा। पर्यावरण विद् एवं वैज्ञानिक डॉ रविकांत पाठक ने कहा कि 'सा विद्या या विमुक्तये' भारतीय शिक्षा का ध्येय वाक्य रहा है। आज भी यही आवश्यक है कि हम स्कूलों में मनुष्य में आंतरिक विकास से संबंधित पाठ्यक्रम तैयार करें। हम कुछ भूल गए हैं उसे पुन स्मरण करें और शिक्षा ऐसी तैयार करें कि दुखों से मुक्ति मिल सके, जीवन में आनंद का मार्ग प्रशस्त हो सके, अंतर्मन में समृद्धि आ सके। महात्मा गॉंधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ भरत मिश्रा ने सतत् विकास के लक्ष्य को नानाजी के कृतित्व के अनुरूप मानते हुए कहा कि नानाजी देशमुख युगानुकूल सामाजिक पुनर्रचना के व्यावहारिक शिल्पी थे। वे गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा, समय अनुकूल शिक्षा, स्वावलंबन और आत्मविश्वास पूर्ण शिक्षा के हिमायती थे। नानाजी का मानना था कि शिक्षा के माध्यम से हम समाज के अनछुए पहलुओं को स्पर्श करते हुए राष्ट्र का नवनिर्माण कर सकते हैं। __________________________________________________ *सशक्तिकरण के लिए स्थानीय संसाधनों को आजीविका का साधन बनाकर आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनें मातृ शक्ति - ऊषा ठाकुर* *महिला सशक्तिकरण में स्वसहायता समूहों की भूमिका विषय पर संगोष्ठी आयोजित* चित्रकूट/ दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा संचालित एवं कौशल विकास उद्यमशीलता मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित जन शिक्षण संस्थान चित्रकूट द्वारा भारत रत्न राष्ट्रऋषि नाना जी देशमुख की 14 वीं पुण्यतिथि पर महिला सशक्तिकरण में स्वसहायता समूहों की भूमिका विषय पर संगोष्ठी का आयोजन दीनदयाल परिसर स्थित बाल कला भवन में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि उषा ठाकुर पूर्व पर्यटन व संस्कृति मंत्री मध्यप्रदेश शासन, कृष्ण मोहन मोघे पूर्व सांसद खरगौन, शिवमोहन मिश्र देव संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार, डॉ रज्जन द्विवेदी पोस्ट डॉक्टोरल फैलो आई सी एस एस आर, विकास कुमार सहायक प्रबंधक ड़ी आई सी, सन्ध्या उपेंद्र कुलकर्णी एवं जन शिक्षण संस्थान के निदेशक अनिल कुमार सिंह द्वारा दीप प्रज्ज्वलन द्वारा किया गया। कार्यक्रम के उदेश्य पर प्रकाश डालते हुए निदेशक जन शिक्षण संस्थान ने बताया कि स्वयं-सहायता समूह भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सशक्तीकरण और गरीबी उन्मूलन के प्रभावी आधार के रूप में उभरे हैं। समाज में महिलाओं के वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने व उन्हें सक्षम बनाने जिससे कि वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सकें और परिवार और समाज में अच्छे से रहकर आत्मनिर्भर एवम स्वावलम्बी बन सकें। सन्ध्या उपेंद्र कुलकर्णी ने कहा कि आर्थिक सशक्तीकरण, कौशल विकास, सामाजिक एकजुटता और ऋण तक पहुँच को बढ़ावा देकर स्वयं सहायता समूह महिलाओं को अपने जीवन पर नियंत्रण रखने और अपने समुदायों के विकास में योगदान करने में सक्षम बनाते हैं। शिवमोहन मिश्रा ने कहा कि महिला स्वयं सहायता समूह महिलाओं को बचत के माध्यम से उन्हें बचत करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, ऋण के माध्यम से महिला स्वयं सहायता समूह महिलाओं को ऋण प्रदान करते हैं व प्रशिक्षण के माध्यम से स्वयं सहायता समूह महिलाओं को विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण प्रदान करते हैं जिससे वे आर्थिक रूप से सशक्त बनातीं हैं। डॉ रज्जन द्विवेदी ने बताया कि स्व सहायता समूह, समरूप ग्रामीण निर्धनों द्वारा स्वेच्छा से गठित एक समूह है जिसमें समूह के सदस्य अपने आप से जितनी भी बचत आसानी से कर सकते हैं उसका अंशदान उत्पादक, उपभोग अथवा आपातकालीन आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु ऋण के रूप में देने के लिए परस्पर सहायक होते है। विकास कुमार द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार एवं केंद्र सरकार द्वारा जिले में संचालित की जा रही बिभिन्न योजनाओं की विस्तृत जानकारी प्रदान कर उनसे लाभान्वित होकर आत्मनिर्भर बनने पर जोर दिया। कृष्णमुरारी मोघे ने भारत सरकार द्वारा समाज के विभिन्न समुदायों एवं विशेषकर मातृशक्ति के शक्तिकरण हेतु किये जा रहे कार्यों की जानकारी प्रदान की और मातृशक्ति को उनसे लाभान्वित होने पर जोर दिया। अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुए उषा ठाकुर ने कहा कि महिला राष्ट्र की आधार शक्ति है आप अपनी अंतर निहित शक्तियों को जागृत करिए और उन्हें पहचानिए। दुनिया का कोई भी ऐसा कार्य नहीं है जिसे आप सर्वाधिक बेहतर तरीके से नहीं कर सकती हैं। ईश्वर ने जब सृष्टि की रचना की तो उन्होंने शक्ति का केंद्र मातृशक्ति को ही बनाया। यदि हम देखे तो दुर्गा शक्ति का केंद्र है तो विद्या का केंद्र सरस्वती है और वही धन की देवी लक्ष्मी को कहा जाता है। आप सभी मातृशक्ति इन तीनों देवियों के संयुक्त विग्रह को आत्मसात कर विश्व गुरु भारत के सपने को यथार्थ में बदल सकती हैं। भारत का इतिहास मातृशक्ति के कार्यों से भरा पड़ा है भारत और भारतीयता की ताकत आध्यात्मिकता है। आप अपने संस्कारों और विचारों को बेहतर बनाने हेतु कार्य करते हुए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों को अपने आजीविका का साधन बनाकर आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनिए। कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे प्रतिभागियों में अंजली भारद्वाज, रेनू, अनुपमा, स्वेता, महिमा ,दीपकुमारी सहित कई अन्य ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में 10 स्वसहायता समहों एवं जन शिक्षण संस्थान के 75 अनुदेशकों सहित लगभग 305 प्रतिभागी उपस्थित रहे। __________________________________________________ *प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने एवं मातृशक्ति के स्वास्थ्य पर कार्यशाला में विशेषज्ञों ने रखे विचार* नानाजी की पुण्यतिथि पर आयोजित विभिन्न संगोष्ठी एवं कार्यशाला की विचार श्रंखला में दूसरे दिन दीनदयाल परिसर के विवेकानन्द सभागार में प्रथम सत्र में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने एवं द्वितीय सत्र में पौध किस्म संरक्षण और तृतीय सत्र में मातृशक्ति के उत्तम स्वास्थ्य व पोषण में पोषक तत्व का महत्व पर विषय विशेषज्ञों द्वारा विस्तृत जानकारी रखी गई। प्रथम सत्र में डॉ शिव शंकर सिंह, पदम श्री उमाशंकर पांडे, श्याम बिहारी गुप्त एवं मोहम्मद असलम खान ने रासायनिक खेती के दुष्प्रभाव को विस्तार से बताया और कैसे प्राकृतिक खेती करके मिट्टी में जीवाणुओं की संख्या बढ़कर उत्पादन को बढ़ा सकते हैं। द्वितीय सत्र में पौधों की किस्म का संरक्षण एवं पंजीयन कृषक अधिकार प्राधिकरण के सत्र में डॉ त्रिलोचन महापात्रा अध्यक्ष और डॉ डीके अग्रवाल रजिस्टार जनरल, यूके दुबे डिप्टी रजिस्टार, डॉ रवि प्रकाश एवं राज सिंह कुशवाहा ने विस्तार से कैसे देसी किस्म की खेती करें, उन्हें संरक्षित रखे, पंजीयन करें साथ ही किसानों से प्रत्यक्ष रूप से वार्ता की एवं अनुभव साझा किया। तृतीय सत्र में डॉ आर एस ठाकुर ने मातृशक्ति के उत्तम स्वास्थ्य, पोषक अनाज का महत्व को विस्तार से बताया। जिसमें कैसे मोटे अनाजों के उत्पाद तैयार करें जैसे रागी लड्डू, रागी बिस्किट, कोदो चावल आदि उत्पाद बनाने पर विस्तार से बताया गया।

*नानाजी की पुण्यतिथि पर दूसरे दिन सम्पन्न हुए विविध कार्यक्रम*

*नानाजी की पुण्यतिथि पर पोषक अनाज “श्री अन्न” प्रदर्शनी का हुआ उद्घाटन*

*प्रदर्शनी में 13 केवीके सहित प्रशिक्षणार्थियों द्वारा बनाये गए उत्पादों का किया गया प्रदर्शन*

चित्रकूट 26 फरवरी / भारत रत्न राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख की 14 वीं पुण्यतिथि पर दीनदयाल परिसर चित्रकूट में पोषक अनाज “श्री अन्न” प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदर्शनी का शुभारंभ सतना सांसद गणेश सिंह, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंका कानूनगो, बेस्ट इंडीज के प्रो नरेश सिंह, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के कुलपति प्रो अरविंद शुक्ला, झांसी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मुकेश पांडे, महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ भरत मिश्रा, पदम श्री उमाशंकर पांडे, मध्य प्रदेश शासन की पूर्व मंत्री सुश्री उषा ठाकुर, डॉ त्रिलोचन महापात्रा, अटारी डायरेक्टर डॉ शांतनु दुबे, डॉ एसआरके सिंह, डॉ अंबेडकर महू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डीके शर्मा, डॉ शेषाद्री चारी, गजानन डांगे एवं सतना कलेक्टर अनुराग वर्मा, पुलिस अधीक्षक आशुतोष गुप्ता द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।

उद्घाटन उपरांत सभी अतिथियों द्वारा प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया। प्रदर्शनी के प्रभारी कृषि विज्ञान केन्द्र चित्रकूट के वैज्ञानिक विजय गौतम ने बताया कि पोषक तत्वों का भंडार माने जाने वाले मोटे अनाज की खपत लगातार बढ़ती नजर आ रही है। यही नहीं, वर्ष 2023 इंटरनेशनल इयर ऑफ मिल्लेट के रूप में मनाया गया। लोग मोटे अनाज के प्रति अधिक जागरूक हो रहे हैं और इसे अपने आहार में शामिल कर रहे हैं। मोटे अनाज गेहूंँ और चावल की तुलना में सस्ते होने के साथ-साथ उच्च प्रोटीन, फाइबर, विटामिन तथा आयरन आदि की उपस्थिति के चलते पोषण हेतु बेहतर आहार होते हैं।

इस प्रदर्शनी में कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां, गनीवां, छतरपुर, रीवा, कटनी, उमरिया, नरसिंहपुर, शहडोल, दमोह, डिण्डौरी, सीधी, सागर, पन्ना,के साथ-साथ जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के खाद्य विज्ञान विभाग, पशु पालन एवं डेयरी विभाग सतना, मध्यप्रदेश जैव विविधता बोर्ड भोपाल द्वारा संकटग्रस्त प्रजातियों के प्रदर्शन के साथ श्री अन्न के मूल्यवर्धित व जैविक कीटनाशकों का प्रदर्शन, मशरूम के मूल्य संवर्धित उत्पाद एवं जन शिक्षण संस्थान चित्रकूट द्वारा आत्मनिर्भर तथा स्वावलम्बी बनाने हेतु संचालित किए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी के साथ साथ प्रशिक्षणार्थियों द्वारा बनाये गए उत्पादों का प्रदर्शन किया गया। इसके अलावा विविध जानकारियों को एकत्र कर लोगों को जन जागरूक करने हेतु विशिष्ट प्रदर्शनी लगाई गई है। इस अवसर पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) द्वारा बाल अधिकारों के सार्वभौमिकता और अखंडता के सिद्धांतों पर 0 से लेकर 18 वर्ष की आयु वर्ग के सभी बच्चों की समान सुरक्षा को ध्यान में रखकर प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।

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*नानाजी की 14 वीं पुण्यतिथि पर मानस पाठ का शुभारंभ*

*श्रद्धांजलि के साथ 27 फरवरी को होगा भंडारा का आयोजन*

चित्रकूट 26 फरवरी 2024/ भारतरत्न नानाजी देशमुख की 14 वीं पुण्यतिथि पर 26 फरवरी को प्रातः 7 बजे से श्रीरामचरितमानस पाठ का शुभारंभ हो चुका है, इस अवसर पर दीनदयाल परिसर में आयोजित मानस पाठ में पौध किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली के चेयरमैन डॉ त्रिलोचन महापात्रा, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो, डीआरआई के प्रधान सचिव अतुल जैन, संगठन सचिव अभय महाजन, कोषाध्यक्ष वसंत पंडित, महाप्रबंधक अमिताभ वशिष्ट ने पूजा स्थल पर पहुंचकर मानस पाठ में सहभागिता की।

27 फरवरी को हवन के पश्चात दीनदयाल परिसर चित्रकूट के पंडित दीनदयाल उपाध्याय पार्क में बने राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख के श्रद्धा स्थल के समक्ष श्रद्बाजंलि का कार्यक्रम रहेगा। उसके पश्चात प्रातः 10 बजे से साधु संतों के प्रसाद के बाद भंडारा का आयोजन होगा।

यह सारा कार्यक्रम जन सहभागिता से ही संपन्न हो रहा है, जिसके लिए चित्रकूट क्षेत्र के कई गांव एवं देश भर के कई स्थानों से नानाजी से जुड़े हुए तथा उनके कार्य के प्रति आस्था रखने वाले लोगों का चित्रकूट आना शुरू हो गया है। इस आयोजन को लेकर आयोजक मंडल द्वारा सारी तैयारियां पूर्ण हो चुकी हैं। दीनदयाल शोध संस्थान के प्रबंध मंडल के सभी सदस्य नानाजी के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में चित्रकूट आ चुके हैं।

दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव श्री अतुल जैन एवं संगठन सचिव श्री अभय महाजन ने सभी से आग्रह किया है कि श्रद्धांजलि एवं भंडारा प्रसाद के लिए आम जनमानस सपरिवार सादर आमंत्रित हैं।

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*सतत् विकास के लक्ष्यों पर आयोजित तृतीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में विद्युतजनों ने रखे अपने विचार*

चित्रकूट 26 फरवरी 2024/ राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख की चौदहवीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रमों की श्रंखला में सोमवार को संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्य एसडीजी-2 भुखमरी की समाप्ति एवं एसडीजी-4 गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा पर चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा आयोजित तृतीय अंतराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन दीनदयाल परिसर के लोहिया सभागार में एसडीजी-2 भुखमरी की समाप्ति के सत्र सतत कृषि और अमृत काल एवं टिकाऊ कृषि और आजीविका के संदर्भ में हम क्या उगाते है, हम क्या खाते है पर अपनी बात रखते हुए पौध किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ त्रिलोचन महापात्रा ने कहा कि सतत कृषि के लिए परिवेश को ध्यान में रखकर पेस्टिसाइड के उपयोग को प्रबंधित करने की जरूरत है। फसलों का जो विविधीकरण होना चाहिए वह नहीं हुआ है, फसलों में विविधीकरण की आवश्यकता है। सूक्ष्म सिंचाई की व्यवस्था होना चाहिए। 2047 तक हम पानी के 80 प्रतिशत उपयोग को 40 प्रतिशत तक लेकर आएंगे।

दीनदयाल शोध संस्थान के कोषाध्यक्ष एवं सेमिनार के संयोजक श्री वसन्त पंडित ने कहा कि हमारी परंपरा में पुरुष पहले भोजन करता है फिर बच्चे और सबसे बाद में महिलाएं। इसलिये महिलाओं में कुपोषण ज्यादा है। मिलेटस् उगाने पर जोर देना चाहिये यह भुखमरी की समस्या का अच्छा समाधान है।

पूर्व आईएएस दीपक खांडेकर ने कहा कि सांवा, कोदो, काकून, रागी बाजरा ये फसले फिर से आनी चाहिये। ये मोटे अनाज ही इस सत्र का सार संक्षेप है और यही जीरो हंगर लायेगा।

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय की पूर्व प्राध्यापक डॉ ओम गुप्ता ने दलहनी फसलों और उसकी न्यूट्रीशन वैल्यू पर अपना व्याख्यान देते हुए कहा जो खाओ वो उगाओ- वही उगाओ जो खाओ।

पूसा अनुसंधान नई दिल्ली के बागवानी विशेषज्ञ डॉ अमित गोस्वामी ने कहा कि हम हर तरह के फल सब्जियां उगा तो रहे हैं लेकिन हम अपने आहार में बैलेंस डाइट नहीं ले पा रहे हैं‌। हमें स्वस्थ रहने के लिए अपने खान-पान में परिवर्तन करने की जरूरत है। सम्मेलन में स्थानिक कृषकों ने भी अपने-अपने अनुभवों को रखा।

क्षेत्रीय युवा किसान नरेंद्र प्रताप पटेल ने मिलेटस की खेती से बढ़ी हुई आमदनी का जिक्र किया। दीपक जायसवाल ने प्राकृतिक खेती में कम उत्पादन लागत का जिक्र किया। इन किसानों ने चित्रकूट क्षेत्र में कार्यरत कृषि विज्ञान केन्द्र के तकनीकी एवं सतत मार्गदर्शन को इसका श्रेय दिया।

लोहिया सभागार की दूसरे तल पर आयोजित एसडीजी-4 गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के अंतर्गत चल रहे सम्मेलन में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि धार्मिक संस्थाओं में खास तौर पर मदरसों में जो शिक्षा दी जाती है वह कितना उचित है। आज मदरसों में एक करोड़ 10 लाख बच्चे क्या सीख रहे हैं, दारुल उलूम देवबंद स्कूल केवल एक प्रोफेशनल कोर्स चला रहा है बाकी केवल धर्म और संप्रदाय की शिक्षा दी जा रही है। इस पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।

गुरुकुल गुजरात के आचार्य संजीव शर्मा ने कहा कि भारत की सामाजिक व्यवस्था के अनुसार शिक्षा होना चाहिए। भारत में जो प्राचीन पद्दति थी उसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, न्याय, धर्म और पर्यावरण जैसे विषय सम्मिलित होते थे।

डॉ शेषाद्री चारी ने कहा कि क्या उच्च शिक्षा संस्थान क्वालिटी एजुकेशन पर कार्य कर रहे हैं यह विचार का विषय है। सरकार शिक्षा पर अधिक बजट नहीं रख रही है जबकि यह हुआ था कि देश की कुल जीडीपी का 6% शिक्षा पर जाना चाहिए किंतु अभी तक तीन प्रतिशत से अधिक कभी नहीं रखा गया।

दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव अतुल जैन ने कहा कि नानाजी स्वयं एक शिक्षा शास्त्री थे उन्होंने नन्ही दुनिया जैसा अभिनव शिक्षा परिसर तैयार कराया जहां बच्चा प्रकृति की गोद में आसपास परिवेश से सीखेगा।

आईआईटी रुड़की के प्रो आशीष पांडे ने कहा कि छात्रों में कला, कौशल और व्यवहारिक ज्ञान होना बहुत आवश्यक है। केवल डिग्री धारकों को बढ़ाने से कुछ नहीं होगा।

पर्यावरण विद् एवं वैज्ञानिक डॉ रविकांत पाठक ने कहा कि ‘सा विद्या या विमुक्तये’ भारतीय शिक्षा का ध्येय वाक्य रहा है। आज भी यही आवश्यक है कि हम स्कूलों में मनुष्य में आंतरिक विकास से संबंधित पाठ्यक्रम तैयार करें। हम कुछ भूल गए हैं उसे पुन स्मरण करें और शिक्षा ऐसी तैयार करें कि दुखों से मुक्ति मिल सके, जीवन में आनंद का मार्ग प्रशस्त हो सके, अंतर्मन में समृद्धि आ सके।

महात्मा गॉंधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ भरत मिश्रा ने सतत् विकास के लक्ष्य को नानाजी के कृतित्व के अनुरूप मानते हुए कहा कि नानाजी देशमुख युगानुकूल सामाजिक पुनर्रचना के व्यावहारिक शिल्पी थे। वे गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा, समय अनुकूल शिक्षा, स्वावलंबन और आत्मविश्वास पूर्ण शिक्षा के हिमायती थे। नानाजी का मानना था कि शिक्षा के माध्यम से हम समाज के अनछुए पहलुओं को स्पर्श करते हुए राष्ट्र का नवनिर्माण कर सकते हैं।

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*सशक्तिकरण के लिए स्थानीय संसाधनों को आजीविका का साधन बनाकर आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनें मातृ शक्ति – ऊषा ठाकुर*

*महिला सशक्तिकरण में स्वसहायता समूहों की भूमिका विषय पर संगोष्ठी आयोजित*

चित्रकूट/ दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा संचालित एवं कौशल विकास उद्यमशीलता मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित जन शिक्षण संस्थान चित्रकूट द्वारा भारत रत्न राष्ट्रऋषि नाना जी देशमुख की 14 वीं पुण्यतिथि पर महिला सशक्तिकरण में स्वसहायता समूहों की भूमिका विषय पर संगोष्ठी का आयोजन दीनदयाल परिसर स्थित बाल कला भवन में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि उषा ठाकुर पूर्व पर्यटन व संस्कृति मंत्री मध्यप्रदेश शासन, कृष्ण मोहन मोघे पूर्व सांसद खरगौन, शिवमोहन मिश्र देव संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार, डॉ रज्जन द्विवेदी पोस्ट डॉक्टोरल फैलो आई सी एस एस आर, विकास कुमार सहायक प्रबंधक ड़ी आई सी, सन्ध्या उपेंद्र कुलकर्णी एवं जन शिक्षण संस्थान के निदेशक अनिल कुमार सिंह द्वारा दीप प्रज्ज्वलन द्वारा किया गया।

कार्यक्रम के उदेश्य पर प्रकाश डालते हुए निदेशक जन शिक्षण संस्थान ने बताया कि स्वयं-सहायता समूह भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सशक्तीकरण और गरीबी उन्मूलन के प्रभावी आधार के रूप में उभरे हैं। समाज में महिलाओं के वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने व उन्हें सक्षम बनाने जिससे कि वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सकें और परिवार और समाज में अच्छे से रहकर आत्मनिर्भर एवम स्वावलम्बी बन सकें।

सन्ध्या उपेंद्र कुलकर्णी ने कहा कि आर्थिक सशक्तीकरण, कौशल विकास, सामाजिक एकजुटता और ऋण तक पहुँच को बढ़ावा देकर स्वयं सहायता समूह महिलाओं को अपने जीवन पर नियंत्रण रखने और अपने समुदायों के विकास में योगदान करने में सक्षम बनाते हैं।

शिवमोहन मिश्रा ने कहा कि महिला स्वयं सहायता समूह महिलाओं को बचत के माध्यम से उन्हें बचत करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, ऋण के माध्यम से महिला स्वयं सहायता समूह महिलाओं को ऋण प्रदान करते हैं व प्रशिक्षण के माध्यम से स्वयं सहायता समूह महिलाओं को विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण प्रदान करते हैं जिससे वे आर्थिक रूप से सशक्त बनातीं हैं।

डॉ रज्जन द्विवेदी ने बताया कि स्व सहायता समूह, समरूप ग्रामीण निर्धनों द्वारा स्वेच्छा से गठित एक समूह है जिसमें समूह के सदस्य अपने आप से जितनी भी बचत आसानी से कर सकते हैं उसका अंशदान उत्पादक, उपभोग अथवा आपातकालीन आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु ऋण के रूप में देने के लिए परस्पर सहायक होते है।

विकास कुमार द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार एवं केंद्र सरकार द्वारा जिले में संचालित की जा रही बिभिन्न योजनाओं की विस्तृत जानकारी प्रदान कर उनसे लाभान्वित होकर आत्मनिर्भर बनने पर जोर दिया।

कृष्णमुरारी मोघे ने भारत सरकार द्वारा समाज के विभिन्न समुदायों एवं विशेषकर मातृशक्ति के शक्तिकरण हेतु किये जा रहे कार्यों की जानकारी प्रदान की और मातृशक्ति को उनसे लाभान्वित होने पर जोर दिया।

अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुए उषा ठाकुर ने कहा कि महिला राष्ट्र की आधार शक्ति है आप अपनी अंतर निहित शक्तियों को जागृत करिए और उन्हें पहचानिए। दुनिया का कोई भी ऐसा कार्य नहीं है जिसे आप सर्वाधिक बेहतर तरीके से नहीं कर सकती हैं। ईश्वर ने जब सृष्टि की रचना की तो उन्होंने शक्ति का केंद्र मातृशक्ति को ही बनाया। यदि हम देखे तो दुर्गा शक्ति का केंद्र है तो विद्या का केंद्र सरस्वती है और वही धन की देवी लक्ष्मी को कहा जाता है। आप सभी मातृशक्ति इन तीनों देवियों के संयुक्त विग्रह को आत्मसात कर विश्व गुरु भारत के सपने को यथार्थ में बदल सकती हैं। भारत का इतिहास मातृशक्ति के कार्यों से भरा पड़ा है भारत और भारतीयता की ताकत आध्यात्मिकता है। आप अपने संस्कारों और विचारों को बेहतर बनाने हेतु कार्य करते हुए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों को अपने आजीविका का साधन बनाकर आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनिए।

कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे प्रतिभागियों में अंजली भारद्वाज, रेनू, अनुपमा, स्वेता, महिमा ,दीपकुमारी सहित कई अन्य ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में 10 स्वसहायता समहों एवं जन शिक्षण संस्थान के 75 अनुदेशकों सहित लगभग 305 प्रतिभागी उपस्थित रहे।

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*प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने एवं मातृशक्ति के स्वास्थ्य पर कार्यशाला में विशेषज्ञों ने रखे विचार*

नानाजी की पुण्यतिथि पर आयोजित विभिन्न संगोष्ठी एवं कार्यशाला की विचार श्रंखला में दूसरे दिन दीनदयाल परिसर के विवेकानन्द सभागार में प्रथम सत्र में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने एवं द्वितीय सत्र में पौध किस्म संरक्षण और तृतीय सत्र में मातृशक्ति के उत्तम स्वास्थ्य व पोषण में पोषक तत्व का महत्व पर विषय विशेषज्ञों द्वारा विस्तृत जानकारी रखी गई।

प्रथम सत्र में डॉ शिव शंकर सिंह, पदम श्री उमाशंकर पांडे, श्याम बिहारी गुप्त एवं मोहम्मद असलम खान ने रासायनिक खेती के दुष्प्रभाव को विस्तार से बताया और कैसे प्राकृतिक खेती करके मिट्टी में जीवाणुओं की संख्या बढ़कर उत्पादन को बढ़ा सकते हैं।

द्वितीय सत्र में पौधों की किस्म का संरक्षण एवं पंजीयन कृषक अधिकार प्राधिकरण के सत्र में डॉ त्रिलोचन महापात्रा अध्यक्ष और डॉ डीके अग्रवाल रजिस्टार जनरल, यूके दुबे डिप्टी रजिस्टार, डॉ रवि प्रकाश एवं राज सिंह कुशवाहा ने विस्तार से कैसे देसी किस्म की खेती करें, उन्हें संरक्षित रखे, पंजीयन करें साथ ही किसानों से प्रत्यक्ष रूप से वार्ता की एवं अनुभव साझा किया।

तृतीय सत्र में डॉ आर एस ठाकुर ने मातृशक्ति के उत्तम स्वास्थ्य, पोषक अनाज का महत्व को विस्तार से बताया। जिसमें कैसे मोटे अनाजों के उत्पाद तैयार करें जैसे रागी लड्डू, रागी बिस्किट, कोदो चावल आदि उत्पाद बनाने पर विस्तार से बताया गया।

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